बेली

बेली तीन उतार लाई मैं गमले में यूँ इतरा रहीं थीं जैसे शोखी में मन बहला रहीं थीं झोंका हवा का जैसे गाने गुनगुना रहा हो उनके कानों में लाओ ज़रा मैं भी सुनूँ आओ रह जाओ आज मेरे बालों में भीनी भीनी खुशबु ठहर जायेगी शाम तक मैं केसों को जब खोलूंगी। कुछ बातें…… Continue reading बेली